अब उसे माँ की बातें याद आने लगी। कहा था न माँ ने, "आज शाम को मत जाओ! रविवार को दिन में चली जाना! ... अब उसे माँ की बातें याद आने लगी। कहा था न माँ ने, "आज शाम को मत जाओ! रविवार को...
खिड़की से एक वीभत्स चेहरा उन्हें ही घूर रहा था, जिसके आधे चेहरे का माँस गायब था, खिड़की से एक वीभत्स चेहरा उन्हें ही घूर रहा था, जिसके आधे चेहरे का माँस गायब था,
दूरदर्शन पर अपना कविता पाठ करके लौट रहा था। राजधानी से प्रकाशित होने वाला राष्ट्रीय दैनिक मेरे हाथों... दूरदर्शन पर अपना कविता पाठ करके लौट रहा था। राजधानी से प्रकाशित होने वाला राष्ट्...
भरम सच है। फिर सच क्या है ? पंछी का उड़ना और आसमान का नीला होना शायद सच है। खिड़की भी है,आँखें भी। च... भरम सच है। फिर सच क्या है ? पंछी का उड़ना और आसमान का नीला होना शायद सच है। खिड़...
लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
मैंने देखा की रेम्बो जोर से हांफ रहा था मैंने देखा की रेम्बो जोर से हांफ रहा था